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भटकती आत्माएं उपन्यास भाग 2

 टेलिविज़न ने बंद कर दिया था फिर से चल लीना आप डिनर कर के लेटिए जैसे ही आप दूसरे स्कूल में जाते हैं वह भी अंग्रेजी स्कूल से स्कूल बस में  माँ पर पापा से भी खाना बोलिये  माँ से बात भी पूरी नहीं हुई थी वो वक्त पापा की नींद से जागकर मैंने पहले ही कहा था कि मेरा मालिक अच्छा आदमी देवता जैसा है  ठीक है आपका स्वामी और आप उसके उपासक हैं और मैं उसकी रखैल हूं...मां के ऐसे जवाब के बाद भी पापा शांत थे, पैर में हाथ-मुंह धोए थे,  हम पहली बार कुर्सी टेबल पर खाना खा रहे थे मेरे दिमाग को रखैल शब्द का मतलब समझ में नहीं आ रहा था मैं मां से पूछ रही थी कि खाना खा रहे थे  आप समझ नहीं पाएंगे कि मेरी बच्ची उनकी आंखों से अश्रु धारा बह रही थी अपने पापा से पूछ कर देख रही थी  पापा तो खाने में मशलुग थे उन्हें शायद जबाब देना नहीं था मतलब कुछ देर बाद उनहोंने डकार ली थी, जो वातावरण में शराब की गंध समा गई थी, फिर हाथ में मुंह धोकर उनहोंने कहा था लीना को अलग सोना चाहिए अब तो हमारे पास के तीन  बैडरूम का अपार्टमेंट है प्राइवेसी का ध्यान रखना चाहिए  देख बेटा तेरे पापा ठीक कह रहे...

भटकती आत्माएं उपन्यास भाग ऐक

यूँ तो देहली में जनबरी महीने में कोहरा छाना आम बात थी लेकिन इस बार कुछ जयादा ही थी कोहरे ने दिल्ली हरियाणा पंजाब नोएडा और भी शहरों को अपने सफेद चाँद के आगोश में ले लिया था, मैंने ऊपर से ठंडी लहरों के बीच में ले लिया था, ऐसे मौसम में सारा शहर थाम सा गया था बुजुर्ग लोग तो खाली हाथ ठंड का लुफ्त उठा रहे थे और नव युवा राजाई में डूबे हुए इंटरनेट की दुनिया में मोबाइल पर खोए हुए थें और इस सीजन में मैं शादियां हुई थी वह तो दिन में थी। ही रोमांस मैं खोए हुए थे ऐसे ही ठंडी रात में मिसेज लीनाडाट पर करवटे बदली हुई थी, शायद कुछ सोची हुई थी शायद वह पुरूस सैमसंग के लिए थी, उस समय उनहोंने कॉल बॉय वाली वेबसाइट खोली कर कुछ युवाओं की पर्सनालिटी पर जुड़े हुए थे, उनकी प्रोफाइल के साथ अलग-अलग न्यूयॉर्क में एक को देखा गया था एक को सिलेक्टेड कर के साथ, अल्लाहबास की तस्वीर दिखाई गई थी फिर उनहोंने राम का पैग था। कर हल्के हल्के गुट के साथ सिगरेट के कास खींचने लगी थी करीब आधे घंटे के बाद बाहर सफेद कार में खड़ा हूं वेबसाइट ने विज्ञापन जारी किया था खैर आगतुंक का उनहोने मुस्कान के साथ स्वागत किया था क्या लोगे रम ...