Skip to main content

भटकती आत्माएं उपन्यास भाग 2

 टेलिविज़न ने बंद कर दिया था फिर से चल लीना आप डिनर कर के लेटिए जैसे ही आप दूसरे स्कूल में जाते हैं वह भी अंग्रेजी स्कूल से स्कूल बस में  माँ पर पापा से भी खाना बोलिये  माँ से बात भी पूरी नहीं हुई थी वो वक्त पापा की नींद से जागकर मैंने पहले ही कहा था कि मेरा मालिक अच्छा आदमी देवता जैसा है  ठीक है आपका स्वामी और आप उसके उपासक हैं और मैं उसकी रखैल हूं...मां के ऐसे जवाब के बाद भी पापा शांत थे, पैर में हाथ-मुंह धोए थे,  हम पहली बार कुर्सी टेबल पर खाना खा रहे थे मेरे दिमाग को रखैल शब्द का मतलब समझ में नहीं आ रहा था मैं मां से पूछ रही थी कि खाना खा रहे थे  आप समझ नहीं पाएंगे कि मेरी बच्ची उनकी आंखों से अश्रु धारा बह रही थी अपने पापा से पूछ कर देख रही थी  पापा तो खाने में मशलुग थे उन्हें शायद जबाब देना नहीं था मतलब कुछ देर बाद उनहोंने डकार ली थी, जो वातावरण में शराब की गंध समा गई थी, फिर हाथ में मुंह धोकर उनहोंने कहा था लीना को अलग सोना चाहिए अब तो हमारे पास के तीन  बैडरूम का अपार्टमेंट है प्राइवेसी का ध्यान रखना चाहिए  देख बेटा तेरे पापा ठीक कह रहे...

औलाद का सुख

 रात्रिकालीन समय था आसमान मे बादल गरज रहै थे कही दूर किसी पेड पर बिजली गिरी थी  बाहर तेज हवा के साथ पानी बरस रहा था ऐसे ही मौसम मै ऐक कहारती हुई दयनीय आवाज अजी सुनती हो दूसरी बार अजी सुनती हो जरा ऐक घूट पानी पिला देना कहारती आवाज देने वाले रिटायर्ड आइ ऐ ऐस अधिकारी थे और जो पानी दे रहीं थी ऊनकी जीवन सहचरी थी वह भी प्रोफेसर के पद से रिटायर्ड हुई थी खैर पानी पीने के बाद वयोबृध ने पूछा था कितना समय हुआ बुढया मोबाइल मे समय देखकर अभी सुबह के चार बजे है 

बुढऊ ने जरा सुमित को विडिओ काल करना अभी कनाडा में तो शायद शाम होगी देखो बेटा से बात करने का बहुत मन हो रहा है जीवन कि अंतिम सँधया है पता नहीं कब देह से प्राण निकल जाए 

बुढिया ने ऐसा मत कहो आप ही तो जीवन का सहारा है खैर में सुमित को विडिओ काल करतीं हूँ 

कुछ छढो बाद हाय डैड हाय ममा आप कैसे है 

बुढऊ कापती आवाज से बेटा ऐक बार तुझे बहू पोते को जी भर के सामने देखना चाहता हूँ आ जा न 

सुमित :- देखिये डैड जूली ने अभी नोकरी चेंज कि है छुट्टी नहीं मिलेगी हाँ अगर पैसे कि जरुरत हो तब मै भेज देता हूँ 

बुढिया :-बेटा पैसा पैसा तो बहुत है हमारे पास हम दोनों कि पेशन ही हजारों मे आ रही है हमें तो...... बुढिया कि आँखों से झर झर आँसुओ कि धारा बहने लगीं थी 

सुमित :-झललाकर आप लोगो कि यहीं समस्या है कुछ भी नहीं समझते यहाँ का जीवन  बहुत ही टफ है ऐक ऐक मिनिट कि कीमत है समझा किजियए और उसने काल कट कर दिया था 

उसके रूखे पन से माता पिता दोनों ही..... रोने लगे थे 

कुछ देर बाद उनहोंने बेटी को फोन मिलाया था  

बुड्ढा :- कैसी हो बेटी 

बेटी :-जी अच्छी हूँ 

बुढिया:-देख मुक्ति अमेरिका से कुछ दिनों कि छुट्टी लेकर आ जा बेटी तेरे बाबूजी तुझे बहुत याद करते है और तू तो देख ही रहीं है उनकी हालात.......

आँखों से आसूं पोछकर हमारी दो संतान होने के बाद भी हम जीवन कि अंतिम समर बेला में अकेले है तू तो आ रही है न देख बेटी हमारे पास बहुत पैसा है बंगला है कार है तू बापस अपने देश आ जा बेटा यहीं काम काज कर अपने देश मे नौकरी कि कमी है भला देख बेटी तुम्हारे बाबूजी ने तेरे लिए लडका देख रखा है बडे घर का आइ ऐ ऐस के पद पर है हम तेरी धूमधाम से शादी करेगें बेटी 

मुकता:-  ममा यह शादी शादी कि क्या रट लगा कर बैठे है मुझे अपना कैरियर बनाना है यहाँ अमेरिका म लडके नहीं है क्या तुमहे पता है मेरा पाचवै बॉयफ्रेंड से पिछले महीने ही ब्रेकअप हुआ है वह सभी भी शादी शादी कि रट लगा रहे थे इसलिए मैंने उनहे छोड़ दिया भाइ मेरा अपना जीवन है मुझे कैसे जीना हैँ मुझे ही तय करना है और हाँ मेने छठवा बॉयफ्रेंड के सामने अपनी सभी शरतो को रखा हैँ पीटर मुझे बहुत प्यार करने  वाला मिला है.....उसके शब्दों को सुनकर दोनों पति पत्नी निरुत्तर  हो गए थें दोनों ही रोने लगे थें और सोच रहे थें कि भगवान ने ऐसी औलादे ही नही दी होती तब अच्छा रहता कुछ देर बाद बूढ़े आदमी ने जरा पैन कागज लाना लिखा था कि हम दौनो के मरने के बाद हमारी मृत देह मेडिकल कालेज को दान दी जाऐ और सारी सँपती गरीब मूक दिव्यांग  बच्चों के विद्यालय बनाने के लिए उपयोग की जाए  

फिर कुछ ही छणो के बाद बुड्ढे ने देह त्याग दी थीं बुड्ढी कुछ पलो तक पति को देखती रहीं और सहसा सीने पर सिर रखकर भगवान को प्यारी हो गई थी



लिखना जारी है....



Comments

Popular posts from this blog

संभोग सुख और नैतिक मूल्य

भादो माह में तो बारिस होती है लेकिन इस साल जयादा ही घूम गई थी आकाश को मेघों ने अपने काजों में कर लिया था काली काली घटाएं बल निहित हुई दूर पृथ्वी को छूता हुआ ऐसा नजारा हुआ कि तीन ही पृथ्वी और आकाश मिल गए हैं ऐसा लग रहा था कि जैसे ही किसी अल्हड़ मित्र बल की दुकान में देर से प्रेमी को रिझाने का काम कर घूमना पड़ा हो ऐसे ही मौसम में डेरे के शहर के करीब वह साडको नदी पर पानी की धारा से मिलने के लिए सघर्ष रात गया समुद्र से कुल मिलाकर यह प्रकृति का मिलन का मौसम था ऐसे मौसम में डॉक्टर करुणा सुपर कारिडोर से विजय नगर से बॉम्बे हॉस्पिटल से रिगन रोड पर अपनी लंबी सी कार की देव कर रही थी रुकी कुछ जगह रोड पर जयादा पानी था इसलिए कार चलाना में शामिल था और रैली में बैललर पुतले से यूँ टर्न लेकर वह किलनिक की सबसे दूर तक की फोटो खींची थी, जो कि स्टूडियो स्टार स्ट्रीट में रेती का स्टोकर वाली खड़ी थी, जो बहुत देर हो गई थी इसलिए उनहोंने अपनी कार दूर पार्क कर दी थी कार के अनदर छाता पता लेकिन वह घर पर था ही भूल गई थी कि वापस घर जाने का लेके उनहोंने अस्थमा के मरीज को दो बजे के बाद का समय दिया गया था इसलिए कलिनिक ज...

भटकती आत्माएं उपन्यास भाग ऐक

यूँ तो देहली में जनबरी महीने में कोहरा छाना आम बात थी लेकिन इस बार कुछ जयादा ही थी कोहरे ने दिल्ली हरियाणा पंजाब नोएडा और भी शहरों को अपने सफेद चाँद के आगोश में ले लिया था, मैंने ऊपर से ठंडी लहरों के बीच में ले लिया था, ऐसे मौसम में सारा शहर थाम सा गया था बुजुर्ग लोग तो खाली हाथ ठंड का लुफ्त उठा रहे थे और नव युवा राजाई में डूबे हुए इंटरनेट की दुनिया में मोबाइल पर खोए हुए थें और इस सीजन में मैं शादियां हुई थी वह तो दिन में थी। ही रोमांस मैं खोए हुए थे ऐसे ही ठंडी रात में मिसेज लीनाडाट पर करवटे बदली हुई थी, शायद कुछ सोची हुई थी शायद वह पुरूस सैमसंग के लिए थी, उस समय उनहोंने कॉल बॉय वाली वेबसाइट खोली कर कुछ युवाओं की पर्सनालिटी पर जुड़े हुए थे, उनकी प्रोफाइल के साथ अलग-अलग न्यूयॉर्क में एक को देखा गया था एक को सिलेक्टेड कर के साथ, अल्लाहबास की तस्वीर दिखाई गई थी फिर उनहोंने राम का पैग था। कर हल्के हल्के गुट के साथ सिगरेट के कास खींचने लगी थी करीब आधे घंटे के बाद बाहर सफेद कार में खड़ा हूं वेबसाइट ने विज्ञापन जारी किया था खैर आगतुंक का उनहोने मुस्कान के साथ स्वागत किया था क्या लोगे रम ...